Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 83( before the exam-3)

"ओये अरमान, ये क्या लौंडियो की तरह डर कर चुप चाप बैठा है...मर्द बन और पहले की तरह बक्चोदि कर..."

"अभी तो फिलहाल मुझे स्टूडेंट बनना है और मर्द तो मैं हूँ ही.. यकीन नहीं तो दीपू मैम से पुछ ले ."

"मेरा कहने का मतलब था रियल मर्द बन..."

"चुप कर बे ,आज मैं पढ़ने के मूड मे हूँ..."

"क्या पढ़ेगा इस बकवास पीरियड मे"जमहाई लेते हुए अरुण ने कहा"एक तो वैसे भी ये ग्रूप डिस्कशन सब्जेक्ट सबसे बोरिंग सब्जेक्ट है उपर से ये भावना माँ को देखकर नींद और आ जाती है...यदि तू अपने बड़े भैया की नसीहत को इस पीरियड मे छोड़ देगा तो तेरा ही फ़ायदा होगा.. वैसे पीरियड से याद आया.. ये भावना मैम इतनी सुस्त -सुस्त क्यों है.. कही इनका भी तो पीरियड नहीं चल रहा..?? रेस्ट करना चाहिए इन्हे फिर ."

"अबे बाहर कर देगी ये मोटी.. यदि सुन ली तो ."

"कर दे... कौन सा.. मेरा कुछ उखाड़ लेगी... और ये घंटा बाहर करेगी, ज़रा एक नज़र पूरी क्लास मे घुमा कर देख...सब टाइम पास कर रहे है..."
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अरुण के कहने पर मैने अपनी नज़र एक बार पूरी क्लास मे दौड़ाई,वो सही बोल रहा था...जहाँ भावना माँ एक तरफ किसी टॉपिक पर लेक्चर दे रही थी तो वही दूसरी तरफ क्लास के सभी स्टूडेंट्स अपना खुद का लेक्चर चला रहे थे... इसलिए फिर मैने भी सोचा की इस पीरियड मे क्यों ना अपने दिमाग़ को तोड़ा आराम दिया जाए....
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"चल आजा... लड़कियो के बारे मे बात करते है..."जमहाई मरते हुए मैने कहा...

"वो सब तो ठीक है लेकिन इस फट्टू नवीन को इधर से भगा...साला खुद तो डरता रहता है उपर से हमे भी डराता है..."

"रहने दे ,मैं खुद ही यहाँ से चला जाता हूँ..."हम दोनो की बक बक से परेशान होकर नवीन ने कहा....

नवीन मौका देख कर पीछे वाली सीट पर समा गया और नवीन के जाते ही मेरे और अरुण के बीच ज्ञान की बाते शुरू हो गयी... वही भावना मैम  का स्लीपिंग लेक्चर अब भी चालू था...भावना मैम  की क्लास को हम दोनो ने इस कदर भुला दिया कि हमे याद तक नही रहा कि अभी हम दोनो कॉलेज मे है... और जोर जोर से खींस निपोरते हुए बतियाने लगे...

"अरुण  & अरमान..क्या चल रहा है उधर.."

"कुछ नही...कुछ  भी तो नही..... माँ.."मैने तुरंत मोबाइल बैग मे डाला और खड़ा हो गया...

"मोबाइल लाओ इधर और hod  के पास चलने को तैयार हो जाओ"

"सॉरी मैम ,वो किसी की कॉल आ रही थी..."

"इतना एमर्जेन्सी कॉल था तो पर्मिशन लेकर बाहर जा सकते थे,इस तरह से क्लास को चिड़िया घर बनाने की क्या ज़रूरत थी..."

"नेक्स्ट टाइम से बिल्कुल भी ऐसा नही करूँगा..."एक दम प्यार से माफी माँगने वाले अंदाज़ मे मैने कहा...

"अच्छा ये बताओ,जो सवाल मैने पूछा था उसका जवाब क्या होगा..."

"रिपीट दा क्वेस्चन, प्लीज़ "

भावना मैम  ने क्वेस्चन रिपीट किया लेकिन सब कुछ पानी की तरह मेरे सर के उपर से गया... इसलिए मैने फिर से उसी question को दूसरी तरीके से पूछा...

"मैम , एक बार ग्रूप डिस्कशन का टॉपिक बताओ ना ..."
उसके बाद भावना मैम  मुझे खा जाने वाली नॅज़ारो से देखने लगी और गुस्से से चीखते हुए बोली"निकल जाओ मेरे क्लास से... तुम... नपुंसक कही के... "

"साली कुतिया... चिल्ला मत... एक बार अपना फेक के मारूंगा ना तो पूरा खानदान प्रेग्नेंट हो जाएगा ..."उनकी आँखो मे देखते हुए मैने अपनी आँखो से ही ये कहा और पैर पटकते हुए क्लास से बाहर आया....

क्लास से बाहर निकाले जाने के कुछ  ही देर बाद ही कुछ  ऐसा हुआ कि जहाँ कुछ  देर पहले मैं भावना मैम  को गालियाँ दे रहा था अब वही मैं उनके मोबाइल पर थैंक  यू का मेस्सेज भेजना चाहता था...थैंक  यू का मेस्सेज मोबाइल पर इसलिए क्यूंकी भावना मैम  के सामने जाकर थैंक  यू बोलने की हिम्मत नही थी

"ईशा ....रुक"ईशा जब क्लास से अकेली निकली तो मैने उसे आवाज़ दी लेकिन उसने मुझे पूरी तरह से इग्नोर किया और आगे चल दी...

"ओये चुड़ैलिन रुक..."

"क्या है "गुस्से से पलट कर वो बोली..

"तुझे भी क्लास से निकाल दिया क्या"उसे कंधे से हल्का धक्का देते हुए मैने पूछा...

मेरे इस बर्ताव पर वो एकदम से भड़क उठी और दूर होते हुए बोली

"ये क्या तरीका है... Behave.. Ok.."

"चल चुड़ैल,ज़्यादा भाव मत खा...और ये बता कि तुझे क्लास से क्यूँ निकाला है..."
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क्लासेस अभी भी चल रही थी इसलिए कॉरिडर अभी पूरा खाली था,जिसमे मैं ईशा  को परेशान कर रहा था...और दिल ही दिल मे ये भी सोच रहा था कि आज तो मस्त मौका मिला है.... भावना मैम.. तुस्सी ग्रेट हो... बदसूरत हो, फिर भी.. I love you

"अरमान, मेरा मूड इस वक़्त बहुत खराब है...दूर रहो मुझसे..."

"Iiiiiii.....llloo"

"क्या Iiiii.."

"कुछ नही "उदास होते हुए मैने सोचा कि शायद मैं कभी ऐश  को आइ लव यू  बोल ही नहीं पाउन्गा...साला वैसे तो बहुत शेर बनता हूँ लेकिन जब इस चुड़ैल को आइ लव यू बोलने की बारी आती है तो हवा टाइट हो जाती है....फिर मैने सोचा कि आइ लव यू बोलने की इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो सेकेंड सेमेस्टर ही चल रहा है....

"अब मेरे पीछे मत आना..."कॉरिडर मे आगे बढ़ते हुए ऐश  बोली...

वैसे तो ऐश  ने मुझे उसको फॉलो करने के लिए मना किया था लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे अपने साथ चलने का इन्विटेशन दे रही हो....मेरी सोच सही थी या फिर मैं ग़लत था,ये मुझे नही पता...लेकिन उस दिन मैं ईशा के पीछे-पीछे गया...शुरू मे तो वो गुस्सा हुई लेकिन फिर चुप हो गयी और कैंटीन  के पास पहुचते ही वो मुझपर मुस्कुराने लगी....
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"मै ना... तुम पर केस कर दूँगी... कि दिन भर मेरे आगे -पीछे घुमते रहते हो... "हँसते हुए उसने कहा...

कैंटीन  मे वो जिस टेबल पर बैठी थी मैं भी अब वही बैठ गया था...

"तुम्हे मालूम है ईशा ,यू आर लाइक माइ कैट ...बोले तो एक दम सेम टू सेम.."

"तुम्हारा दिमाग़ सही नही है,तुम बिल्कुल पागल हो,मैं जा रही हूँ यहाँ से.."तुनक कर ईशा वहाँ से उठी और जाने लगी...
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मैं चाहता तो ऐश  का हाथ पकड़ कर रोक सकता था...लेकिन मेरे sixth sense ने मुझसे कहा कि "बेटा फ़िल्मो की कॉपी मत कर...वरना तिलमिलाई हुई ऐश  लाफा तो मारेगी ही साथ मे गौतम के साथ पंगा अलग...."

मैने अपने sixth sense की बात मान ली और ईशा  को एक शब्द भी नही कहा और ना ही मैने कुछ किया... मेरे ऐसा करने की एक और वजह ये थी की....अपुन की भी कोई इज़्ज़त है 😎.  अब वो बार-बार मुँह फूलकर भागे तो भाग जाए... अपुन के पास लड़कियों कि कमी है क्या... अभियेच यदि सेक्स करने का मूड हो तो दीपिका मैम को कही भी झुका कर कर लूँ...

इसलिए मैने ईशा से कुछ नहीं कहा और उसके जाने के बाद मैं लगभग आधे घंटे तक और कैंटीन  मे बैठा रहा. कैंटीन मे बैठे -बैठे जो मन मे आया उसे मंगा कर खाया और पैसे सिदार  के अकाउंट मे एड करा दिए....
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"अई साला...मज़ा आ गया आज तो..." हॉस्टल  वाली सड़क पर चलते हुए मैने कहा..

पेट भर कैंटीन का कचरा अपने पेट मे भरने के बाद मैं अब हॉस्टल  जाकर सीधे सोने के मूड मे था जिससे रात को रिलॅक्स होकर पढ़ सकूँ...लेकिन उसी समय मेरे जेब मे रखा मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा...

"MTL भाई को आज मेरी याद कैसे आ गयी..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए मैने कॉल रिसीव की"हेलो..."

"हाई...हेलो छोड़ और ये बता बास्केटबॉल  खेल लेता है ना..."

"एक दम झक्कास प्लेयर हूँ... मेरे लेवल का तो पुरे कॉलेज मे कोई नहीं होगा.. नेशनल प्लेयर हूँ "

"तो आजा बास्केटबॉल  के ग्राउंड पर,एक प्रॅक्टीस मैच चल रहा है..."

"अभी...??"अपने पेट कि तरफ हाथ फिराते हुए मै चौका

"हां अभी..."

"लेकिन अभी तो मैं तैयार नही हूँ, एक तो मैने अभी ही जानवरो की तरह पेट भरा है और दूसरा मैं जीन्स पैंट मे बास्केटबॉल  कैसे खेलूँगा..."

"जल्दी से इधर पहुच सब जुगाड़ है... तेरे पैंट का भी और तेरे पेट का भी "

"आता हूँ "(कहा फंसा दिया यार... सिदार भाई ने...)

Read My Other Webseris~ समुन्दर का शिकारी 

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1 Comments

Raghuveer Sharma

27-Nov-2021 06:28 PM

waah sir 👌👌

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